सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

स्वतंत्रता सेनानी विष्वनाथ मोदी पंचतत्व में हुए विलीन


शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले.कोडरमा के तीन बार विधायक रहे और स्वतंत्रता सेनानी विश्वनाथ मोदी सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गये। पूरे राजकीय सम्म्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार झुमरीतिलैया स्थित मुक्तिधाम में हुआ जहां विभिन्न संगठनो, दलो के प्रतिनधियों के साथ ही झुमरीतिलैया के लोग और परिजन मौजूद थे। लम्बे समय से बीमार चल रहे विष्वनाथ मोदी का आज सुबह उनके आवास पर निधन हो गया था। स्व. मोदी वर्ष 1967 में सोषलिस्ट पार्टी, 1969 में सोषलिस्ट पार्टी और 1977 में जनता पार्टी से कोडरमा विधायक चुने गए थे। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्होंने कोडरमा, डोमचांच में आन्दोलन का नेतृत्व किया था और हजारीबाग जेल भी गए थे। बताते हैं कि अंग्रेजों ने डोमचांच में उनकी बुरी तरह पिटाई की थी और मृत समझकर फेंक दिया था। परिजनों ने भी ऐसा ही मान लिया था और बाद में जब उनके जिन्दा रहने की खबर आयी थी तो पूरे इलाके में दीये जलाये गए थे। 20 जुलाई 1920 को कोडरमा जिले के गोदखर गांव में जन्मे और होरील मोदी व गिरजा देवी की संतान विष्वनाथ मोेदी ने प्रारंभिक षिक्षा कटहाडीह प्राथमिक विद्यालय और बाद में गुरूकुल बैजनाथधाम में षिक्षा हासिल की थी। 1940 में इन्होंने रामगढ में हुए कांग्रेस अधिवेषन में भी हिस्सा लिया था और बाद में हजारीबाग जेल में जयप्रकाष नारायण के सम्पर्क में आकर समाजवादी हो गये। कोडरमा में वर्ष 1958-59 में जंगल ठीकेदारों के खिलाफफ इन्होंने संघर्ष किया तो वहीं बिहार अबरख मजदूर सभा का गठन कर मजदूरों के लिये लम्बी लडाई लडी। आपातकाल के दौरान भी पहले हजारीबाग और फिर भागलपुर जेल में डेढ साल तक बन्द रहे। 4 मार्च 1978 को उन्होंने डोमचांच में सामूहिक मिटृटी काटो अभियान शुरू किया था जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और हजारो की संख्या में स्थानीय लोगो ने भाग लिया था। स्व. विष्वनाथ मोदी की पत्नी अम्बिका देवी का पहले ही निधन हो चुका है, वहीं एक पुत्र दामोदर ममोदी का भी दो वर्ष पहले निधन हुआ था। स्व. मोदी अपने पीछे दो पुत्र सुभाष मोदी और विनोद मोदी समेत भरा पूरा परिवार छोड गये हैं।
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मोदी जी को मिला राजकीय सम्मान
कोडरमा जिले में यह पहली बार हुआ कि किसी स्वतंत्रता सेनानी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। आज सुबह जब विष्वनाथ मोदी के निधन की खबर मिली तो राज्य सरकार से राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कराने की मांग की गयी। इसमें कुछ पत्रकारो ने भी अपने स्तर से पहल की और मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से भी बात की गयी। विधायक अन्नपूर्णा देवी और अमित यादव ने भी हस्तक्षेप किया और राज्य सरकार की ओर से निर्देेष मिलने के बाद कोडरमा डीसी षिवषंकर तिवारी, एसी उदय प्रताप सिंह, एसडीओ षिषिर कुमार सिन्हा, दंडाधिकारी पूर्णचन्द्र कुंकल, एसडीपीओ चन्द्रषेखर प्रसाद, बीडीओ नूतन कुमारी, थाना प्रभारी राजीव रंजन आवास पर पहुंचे। निर्देषों के तहत स्व. मोदी के शव को तिरंगे में लिपटाया गया, वहीं अंतिम संस्कार के समय सषस्त्र सलामी दी गयी और पुलिस बल द्वारा मातमी धुन बजायी गयी। इस दौरान एसडीओ षिषिर कुमार सिन्हा, एसडीपीओ चन्द्रषेखर प्रसाद भी मौजूद थे।
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मुख्यमंत्री नीतिष और मुंडा ने जताया शोक
बिहार विधान सभा कके तीन बार सदस्य रहे और स्वतंत्रता सेनानी विष्वनाथ मोदी के निधन पर बिहार कके मुख्यमंत्री नीतिष कुमार ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपनी शोक संवेदना में स्व. मोदी को जीवन पर्यंत गरीबो और मजदूरों के लिये लडने वाला नेता बताया। वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी अपने शोक संवेदना में राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में आगे रहने वाला योद्धा बताया। भाकपा के राज्य सचिव भुनेष्वर प्रसाद मेहता ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि विष्वनाथ मोदी ने सदैव गरीबो और मजदूरो के लिये संघर्ष किया। उनके सामाजिक और राजनीतिक योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। कोडरमा विधायक अन्नपूर्णा देवी, बरकट्ठा विधायक अमित यादव, राजद के पूर्व प्रदेष अध्यक्ष गौतम सागर राणा, जदयू नेता बटेष्वर ममेहता, अर्जुन यादव, मदजूर नेता प्रभाकर तिवारी आदि ने भी अपनी शोक संवेदना व्यक्त की है। इधर उनकी शव यात्रा में भी गौतम सागर राणा, बटेष्वर मेहता, भाजपा नेता रवि मोेदी, परमेष्वर मोदी, माले नेता श्यामदेव यादव, उदय द्विवेदी, पेंषनर समाज के अध्यक्ष नारायण मोदी, डा. एनके मोदी, केडी यादव, उमेष सिंह, रविन्द्र प्रसाद, अषोक वर्णवाल, कुष्णदेव मोदी, मनोहर मोदी, मुन्ना सुलतानिया, अरूण मोदी, डा. विकास चन्द्रा, सुनील कुमार, कांग्रेस के तुलसी मोदी, आजसू के अजीत वर्णवाल, पत्रकारों में विनोद विष्वकर्मा, संजीव समीर, अमरेन्द्र श्रीवास्तव, सतीष कुमार, मनीष राज, संतोष कुमार आदि भी शामिल हुए।
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लेखक भी थे विष्वनाथ मोदी
जिले में मोदी जी के नाम से प्रसिद्ध विश्वनाथ मोदी ने दो पुस्तकें भी लिखी थीं- 1. पांच बरस में नया हिंदुस्तान कैसे बने 2. बड़े नेताओं के बडे अपराध। पहली पुस्तक उन्होने वर्ष 1978 में लिखी थी जिसमें पांच साल में हिन्दुस्तान को कैसे विकास की पटरी पर लाया जाय, इसकी चर्चा की गयी थी तो वहीं 1999 में लिखी गयी दूसरी पुस्तक में आत्मकथा कहते हुए देष के बडे घोटालों की चर्चा की गयी थी। सोमवार को इस पुस्तक को लोगों ने हाथों हाथ लिया।
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शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

ठंड में बिरहोरों की स्थिति हुई दयनीय, नहीं ली किसी ने सुध

सरकार के लाख प्रयास के बावजूद जिले के जंगली क्षेत्र में बसे आदिम जनजाति बिरहोरों की स्थिति नहीं सुधरी है। सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं का लाभ इन्हें सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है। इसका ज्यादातर लाभ बिचैलिये उठा रहे हैं। झुमरीतिलैया के सुदूरवर्ती क्षेत्र झरनाकुंड में इस भीषण ठंड में बिरहोरों की स्थिति काफी खराब है। यहां ठंड के कारण कई बिरहोर महिलाएं बीमार हैं। वहीं जयनगर प्रखंड के डंडाडीह के समीप जंगल की तराई में स्थायी रूप से बसे बिरहोर परिवार की स्थिति बदतर बनी हुई है। इन बिरहोरों के पास न तो रहने के लिए घर और न ही सोने के लिए बिस्तर। जमीन पर सोना और दूषित पानी पीना इनकी नियति बन गई है। फटेहाली जिंदगी जीने के लिए ये विवश हैं। कंपकंपाती ठंड से मंगरी बिरहोरिन बीमार है। मंगरी कहती है कि जाड़ा खत्म होय तो कंबलवा सरकार देतय तो का कर बै। भर ठंडा कंपकंपात हिय। वहीं अर्जुन बिरहोर, अशोक बिरहोर, रामेश्वर बिरहोर कहते हैं कि प्रशासन के पास कई बार वो घर के लिए चक्कर काट चुके हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं परंतु स्कूल की व्यवस्था नहीं है। लोगों ने कहा कि एक माह से ऊपर होने के बाद भी जनवितरण प्रणाली दुकानदार शशिभूषण साव द्वारा अनाज नहीं दिया गया है जिससे भूखमरी के कगार पर हैं। यही हाल गड़ियाई स्थित 25 बिरहोर परिवारों की है। यहां भी ठंड से बिरहोर जनजाति कांप रहे हैं। लकड़ी और रस्सी बेचकर गुजर-बसर कर रहे हैं। डंडाडीह में बीडीओ ने मंगलवार की रात्रि 7 बजे पहुंचकर लोगों के बीच कंबल वितरण किया और बीमार बिरहोरिन मंगरी की स्थिति का जायजा लिया। मंगरी बिरहोरिन ने बताया कि अभी तक कोई चिकित्सक नहीं पहुंचे हैं। इधर, मरकच्चो में पिछले एक सप्ताह से पड़ रही ठिठुरन वाली ठंड से बरियारडीह स्थित बिरहोर कालोनी में दो बच्चों की मौत हो गई थी तथा दर्जन लोग बीमार हो गए थे।

गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

वर्ष 2010: कोडरमा के कई मामले हुए चर्चित

कोडरमा जिले के कई मामले वर्ष 2010 में राज्य और देष स्तर पर भी चर्चित हुए। इनमें सर्वाधिक चर्चित मामला निरूपमा की संदेहास्पद मौत और 8 वर्षीय अमन की नरबलि रहा। इसके अतिरिक्त सैनिक स्कूल तिलैया का अष्लील एमएमएस कांड, कोडरमा में सडक दुर्घटना में आठ लोगों की मौत, मेघातरी में राजो लाल और झुमरीतिलैया में दवा विक्रेता चन्द्रषेखर पांडेय की हत्या, मेघातरी में निर्माणाधीन पुल स्थल से तीन लोगों का अपहरण, झुमरीतिलैया से ससुर दामाद का अपहरण की घटना भी काफी चर्चित रही। जियोरायडीह में दो बिरहोर बच्चों और उनकी मां की जलने से हुई मौत का मामला भी राज्य स्तर पर चर्चित रहा। वहीं ढिबरा पर लगे रोक के खिलाफ भाकपा माले के प्रदर्षन और समाहरणालय परिसर में तोडफोड की घटना तो साल के अंत में 334 क्रषरों में तालाबन्दी की घोषणा भी यहां के लोगों में चर्चा का विषय बना। इस साल ग्रामीण सरकार बनने की राह बनी और पंचायत चुनाव ने लगभग दो महीने तक ग्रामीण गतिविधियों को यहीं तक सीमित रखा तो वहीं जून में नगर निकाय चुनाव हुआ जिसमें झुमरीतिलैया और कोडरमा प्रभावित रहा। जयनगर प्रखंड मुख्यालय 4 अक्टूबर को भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा तालाबन्दी की कार्यवाई भी खासी चर्चित हुई। दिसम्बर माह में 26 तारीख को बरियारडीह में ठंढ से दो बिरहोर बच्चों की मौत का मामला भी राज्य स्तर पर चर्चित रहा। इस साल भाजपा नेता खेम सिंह के असामयिक निधन ने भी शहरवासियों को रूलाया।
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समय बीतता गया और उलझती गयी गुत्थी
निरूपमा के मौत की मिस्ट्री छह महीने बीत जाने के बाद भी नहीं सुलझ पायी है। पहले करंट से हुई मौत और फिर उसे फांसी लगाकर आत्महत्या बताये जाने के विवाद और फिर निरूपमा के प्रेमी प्रियभांषु द्वारा उसके आनर किलिंग के आरोप से चर्चित हुए इस मामले में हर बार कुछ नया खुलासे का दावा तो किया जाता रहा है। हांलाकि वह दावा बाद में वहीं तक सिमटकर रह गया। शुरू से पुलिस की गलतियों की वजह से साक्ष्यों में भी छेडछाड होती रही तो वहीं आपाधापी में निरूपमा की मां को हत्या के शक में कोडरमा जेल भेजे जाने से पुलिस की ही किरकिरी हुई। विवादित पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने जहां मामले को और उलझाया तो वहीं झुमरीतिलैया में सुधा पाठक और परिजनों के पक्ष में जुलूस निकालकर दबाव बनाने का भी काम हुआ। यानि हर जगह विवादों ने इस मामले को थामे रखा। जांच में सुसाइड नोट की राइटिंग निरुपमा की बताई गई तो उस दुपट्टे से भी महत्वपूर्ण साक्ष्य फॉरेंसिक टीम को हाथ लगने का दावा किया गया, जिस पर झूलकर निरुपमा के जान देने की चर्चा थी।
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अपहरण की घटनायें भी हुई
साल 2010 में जिले में अपहरण की भी कई घटनायें हुई। कोडरमा थानांतर्गत मेघातरी करहरिया पुल निर्माण साइट से गत 9 जुलाई को अगवा किये गए तीन कर्मियों कृष्णा तिवारी, संजय तिवारी और दिलीप मिस्त्री को 10 दिन अपराधियों ने मुक्त किया। वहीं माइका व्यवसायी राधेष्याम मोदी और उनके ससुर झुपरू मोदी के भी अपहरण की घटना हुई। इसके अलावा झुमरीतिलैया से एक बच्चे का अगवा किया गया तो 31 जुलाई को इंदरवा बस्ती से विषुनदेव सिंह के पुत्र प्रिंस का अपहरण किया गया।
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अमन हत्याकांड ने लोगों को झकझोरा
21वीं सदी में भी नरबलि की प्रथा चालू है, कोडरमा जिले के पुरनाडीह में ईष्वर साव के 8 वर्षीय पुत्र अमन का अपहरण कर उसकी नरबलि दे दिये जाने की घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। आज भी इस घटना को याद कर लोग सिहर उठते हैं। रामनवमी के दौरान 20 मार्च को गायब हुए अमन की हत्या का राज जब सामने आया तो स्पष्ट हुआ कि गांवों में अंधविष्वास अब भी पूरी तरह कायम है। इस मामले में आठ लोगों को पकडा गया जिनमें बालक के पडोसी भी शामिल हैं। सभी आज भी कोडरमा मंडल कारा में बन्द हैं।
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सोमवार, 30 अगस्त 2010

तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे/ खेम सिंह का झुमरीतिलैया में हुआ अंतिम संस्कार


कोडरमा जिले में भाजपा को शिखर तक पहुंचाने वाले सक्रिय नेता और पत्रकार सरदार खेम सिंह के शव का आज झुमरीतिलैया में अंतिम संस्कार किया गया। उनके पानी टंकी रोड स्थित आवास से दिन के 10 बजे शव यात्रा निकाली गयी और पार्टी के जिला कार्यालय में उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद शव यात्रा पूरे शहर का भ्रमण कर मुक्तिधाम पहुंची जहां उनके पुत्र अमित कुमार ने मुखाग्नि दी। इस अंतिम यात्रा में पार्टी के बरही विधायक उमाषंकर यादव अकेला, बरकट्ठा विधायक अमित यादव, विभिन्न दलों से जुडे लक्ष्मण स्वर्णकार, रवि मोदी, रामचन्द्र सिंह, रामनाथ सिंह, नीतेष चन्द्रवंषी, रमेष हर्षधर, बिरेन्द्र मोदी, विनोद मोदी, सुधीर सिंह, सरयू सिंह, राजवल्लभ शर्मा, विजय साव, शषिभूषण, सुखदेव यादव, बिरेन्द्र सिंह, सुनील यादव, खालिद खलील, परमेष्वर यादव, सुषील अग्रवाल समेत अन्य लोग और कई पत्रकार उपस्थित थे। प्रदेष भाजपा की ओर से पहुंचे प्रदेष मंत्री गणेष मिश्रा ने कहा कि खेम सिंह जनसंघ काल से ही जुडे रहे और वे भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता थे। विधायक अन्नपूर्णा देवी ने भी आज स्व. खेम सिंह के आवास पर पहुंचकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। यों भी सरदार खेम सिंह को भूल पाना पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए आसान नहीं होगा। पूरे राजनीतिक जीवन इनका संघर्षो में व्यतीत हुआ। जनहित के हर मुद्दे पर सक्रिय ढंग से आवाज उठाते थे। पार्टी के सच्चे सिपाही की तरह छोटे से बड़े कार्यक्रमों में हमेशा तत्पर रहने के कारण ही आम जनता में इनकी अलग पहचान थी। मृदुभाषी स्व. सिंह 1977 में जनसंघ से जुड़कर राजनीति की शुरूआत की थी। वर्ष 1980 में हजारीबाग जिला के भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बने। 1985 में श्री सिंह को पार्टी ने भाजपा का जिला उपाध्यक्ष बनाया। वहीं कोडरमा जिला बनने के बाद 1995 में भाजपा का पहला अध्यक्ष खेम सिंह को बनाया गया। इसके पहले वे भाजपा को कोडरमा में गांव-गांव तक पहुंचाने में काफी अहम भूमिका निभाई। चंद कार्यकर्ताओं के साथ ही ग्रामीण इलाकों में पैदल मार्च कर पार्टी को अलग पहचान दिलायी। राज्य गठन के बाद वर्ष 2001 अक्टूबर में इन्हें राज्य अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष बनाया गया। स्व. सिंह रियाडा के चेयरमैन तथा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य के रूप में लंबे समय तक रहे। वर्तमान में उन्हें चतरा जिले के चुनाव प्रभारी बनाया गया था। श्री सिंह जनता के हित के लिए हमेशा मुखर रहे थे।
अलग राज्य के आंदोलन में जेल गए थे खेम जी
स्व. खेम सिंह पार्टी व जनता के लिए हमेशा आंदोलन करते रहे थे। अलग राज्य की मांगों को लेकर भाजपा द्वारा चलाया गया वनांचल आंदोलन में खेम सिंह सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिससे 1997 में 21 दिनों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा था। वहीं 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वस्त मामले में भी खेम जी को 23 दिनों तक कोडरमा जेल में रहना पड़ा। इतना ही नहीं, पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में दर्जनों बार इन्हें रेल व जिला पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
खेम सिंह के निधन पर जिले में शोक की लहर
भाजपा के वरीय नेता खेम सिंह के निधन पर पूरे जिले में शोक की लहर है। उनका निधन रविवार को रांची के गुरुनानक अस्पताल में हो गया था। वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। कोडरमा विधायक अन्नपूर्णा देवी ने उनके निधन को जिला के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि श्री सिंह शोषितों के आवाज थे। खेम सिंह द्वारा जनहित के लिए किये गए कार्यो को कोडरमा की जनता हमेशा याद रखेगी। वहीं झाविमो नेता प्रणव वर्मा, अनवारूल हक, खालिद खलील, जिलाध्यक्ष बेदु साव ने भी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि स्व. सिंह गरीबों के हक के लिए हमेशा संघर्षरत रहे थे। जनहित के मुद्दों पर वे दलगत भावना से ऊपर उठकर काम करते थे। कांग्रेस के निर्मल ओझा, वरीय नेता नारायण वर्णवाल, बुन्देल प्रसाद यादव, माले नेता रामधन यादव, भाकपा नेता महादेव राम, सपा जिलाध्यक्ष श्यामदेव यादव, आजसू नेता अजीत वर्णवाल, झामुमो जिलाध्यक्ष महेश राय ने भी खेम सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि स्व. सिंह जन-जन के नेता थे। वे भाजपा में रहते हुए भी सभी दलों के कार्यकर्ताओं के दुख-तकलीफ में साथ रहते थे। नेताओं ने कहा है कि कोडरमा जिला के हित के लिए वे हमेशा प्रयासरत रहे थे। यहां की जनता हमेशा उन्हें याद रखेगी।

रविवार, 15 अगस्त 2010

एक अंचभा मैंने देखा सावन 2000 में भोले बस गए झारखंड में गंगा बही बिहार में

सावन की तीसरी सोमवारी को झुमरी तिलैया की धार्मिक संगठन श्रीराम संकीर्तन मंडल के तत्वाधान में झरना कुंड से ध्वाजाधारी धाम तक 15 किलोमीटर तक शिवभक्तों की टोली की कतार कावर पद यात्रा में शामिल हुई। कावर पद यात्रा में क्या बच्चे, क्या बूढे, युवक युवतिया, महिलाए लगभग 10 हजार की संख्या में माथे पर ओम नमः शिवाय के पटी एवं कई श्रद्धालु भक्त केसरिया वस्त्रों में इस यात्रा में शामिल हुए। कावर पद यात्रा साढे छः घंटे में ध्वाजाधारी धाम पहुंची, शिव भक्तो ने 777 सीढी चढकर बाबा भोले को जलाभिषेक किया। रास्ते में कई शिव मंदिरों में भक्तो ने दर्षन किया। एवं इस दौरान बाबा भोले शंकर की जय, हर हर महादेव, जय शिव शंभु के गगन भेदी नारो से पुरा अभ्रकांचल गंजं मान होता रहा। इस कावर पद यात्रा एक सुसज्जीत ट्रक में देवी देवाताओं की तस्वीर तथा दूसरे सुसज्जीत ट्रक शिव दरबार, तथा एक सुसज्जित ट्रक में भजन मंडली व टीम शामिल थे। भजन मंडली के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भजन ‘एक अंचबा मैंने देखा सावन 2000 में भोले बस गए झारखंड में गंगा बही बिहार में .’ नाज कावरिया शिव के नगरी , बनके पूजरी रे ., मोर भंगीया के .., न हीं खोवा - मेवा , न ही मिसरी मलाई .., आदि भजनों पर श्रद्धालु भक्त झूमते रहे और भक्ति के सागर गोता लगाते रहें। भजन गायक सतीष भदानी, बबलू सिंह, संतोष गुप्ता, सुरेष गुप्ता, लालजी सिन्हा, बिनोद कुमार, सत्येन्द्र सिंन्हा, नवीन सिन्हा, प्रतिमा कुमारी, खुषबू कुमारी आदि ने बाबा भोले शंकर, वीर हनुमान, माता दुर्गा आदि पर भजन प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में राजेष कपसिमे, अरविन्द चैधरी, विमल मोदी, सुरेष गुप्ता, मनोज साव, सत्येन्द्र सिन्हा, मुकेष सिंह, राकेष कपसिमें, राजेष गुप्ता, पप्पू पांडेय, विषाल कपसिमें, संतोष सिंह, बबलू पांडेय, गुड्डू, अमन कपसिमें, राजेन्द्र प्रसाद वर्मा, रवि केषरी, आषीश भदानी, मिथुन सिंह, प्रेम नारायण मेहता, नागेष्वरी देवी , फुलकुमारी देवी, सुजाता देवी, गीता देवी, सीमा देवी, रेखा देवी, मंजू देवी, अनिता देवी, रजनी देवी, तारा देवी, आदि मुख्य रूप से अहम भूमिका निभाई।

शनिवार, 3 जुलाई 2010

जेब के साथ सेहत पर भी असर दिखाने लगी महंगाई

मंहगाई कल तक जेब ढीली कर रहा था। आज सेहत पर भी असर दिखा रहा है। इस तल्ख सच्चाई से हर किसी का वास्ता पड़ रहा है। पिछले 25 जून को पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि हुई जिसके बाद हर घर की रसोई में गहरी उदासी छा गयी। आटा, चावल, दाल, सब्जी, पापड़, तेल, मशाला,दूध,घी आदि सभी दैनिक उपयोग की सभी सामानों के महंगे होने की आशंका जो बन गयी थी। वह आशंका सच साबित हुई। सभी जरूरी सामानों की कीमतें आज 5 से 10 फीसदी तक बढ़ गयी। आय बढ़ी नहीं और जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ गयी तो सेहत पर भी इसका कुप्रभाव पड़ना ही है। कल जक जिस रसोई में औसतन प्रतिदिन दो किलोग्राम सब्जी की खपत थी। बढ़ी हुई कीमतों के साथ आज उसमें कटौती की जाने लगी है। यही हाल अन्य सामग्री का भी है। घरेलू महिला मधु कहती हैं कि इतनी तेजी से मंहगाई बढेगी ऐसा कभी सोचा ही नहीं था। वहीं मीनाक्षी श्रीवास्तव कहती हैं रोज-रोज सामानों की कीमत बढ़ेगी तो भला घर का बजट गड़बड़ायेगा ही। आज घर का पूरा मासिक बजट ही गड़बड़ाता दिख रहा है। आय बढ़ने के साधन नहीं है। शिक्षिका मनोरमा कुमारी का कहना है कि अब उपयोग की जाने वाली सामानों में कटौती करनी पड़ रही है। आसमान छूती मंहगाई से निपटने का यही एक उपाय सूझ रहा है। इन महिलाओं की बातों से साफ है कि महगाई अब जेब ढीली करने तक ही नहीं रह गयी बल्कि लोगों के सेहत को भी प्रभावित करने की स्थिति में है। पेट्रोलियम पदार्थो व रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि का असर शादी-विवाह पर भी पड़ने लगा है। वाहन संचालकों ने किराया में वृद्धि कर दी है। माल ढुलाई बढ़ने से अन्य जरूरी सामान की कीमतें बढ़ गयी है। जिससे वर हो या वधू पक्ष हर किसी का वजट असंतुलित हो गया है। वैसे भी वर्षात के मौसम में सब्जी सहित अन्य सामग्री की कीमतें कम उपज के कारण बढ़ जाया करती है। रही सही कसर पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि से पूरी हो गयी है।

शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

अधर में लटका हुआ है सौ शैया के सदर अस्पताल का निर्माण


सौ शैया वाला सदर अस्पताल लगभग पॉच सालों से अधर में लटका हुआ है। फंड के अभाव में निर्माण कार्य ने अब तक गति नहीं पकड़ी है। जिले के लोग आज भी अनुमण्डलीय अस्पताल पर निर्भर है। 16 जुलाई 2005 को झाारखंड के तत्कालीन महामहिम सैयद सिब्ते रजी ने सौ शैया वाले सदर अस्पताल की अधारशिला रखी थी तब लगभग पॉच करोड़ रूपये अस्पताल निर्माण पर खर्च होने थे और इसे नियत समय में पूरा किया जाना था। निर्माण पुरा करने की अवधि समाप्त हो चुकी है। 10 अप्रैल, 1994 को कोडरमा जिला का सृजन हुआ था। तभी से यह आवश्यकता महसूस की जा रही थी। फिलवक्त स्थिति यह है कि अनुमण्डलीय अस्पताल को हीं उत्क्रमित कर सदर अस्पताल का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन सदर अस्पताल के अनुरूप पदों का सृजन नहीं किया गया। वहीं पुराने पद अभी भी बरकरार है। चिकित्सकों, परामेडिकल कर्मियों का घोर अभाव बना हुआ है। सिविल सर्जन डा0 पी0मोहन से जब इस मुत्तलिक बात की गई तो उन्होने कहा कि विभागीय काम हो रहा है और उसमें स्वास्थ्य प्रशासन का कोई हस्तक्षेप नहीं है। निर्माण कार्य एच0सी0एल0 नामक कम्पनी से करवाई जा रही है कम्पनी के लोग भी परेशान है। कई बार फंड के अभाव में उन्हें निर्माण कार्य रोकना पड़ा है। दुसरी ओर स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण मद से सी0 व0 डी0 टाईप क्वार्टर, ए0एन0एम0 ट्रेनिंग सेंटर और सिविल सर्जन कार्यालय का भी निर्माण हो रहा है। इन सबों का शिलान्यास विधायक अन्नपूर्णा देवी ने वर्ष 2008-09 में किया था जो आज पुरी होने की स्थिति में है।

गुरुवार, 1 जुलाई 2010

बरसात आते ही बढ़ा रेंगती मौत का खतरा

बरसात का मौसम आते ही रेंगती मौत का खतरा बढ़ गया है। आये दिन सर्पदंश से मौत की खबरें सूनी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में सांप काटने के बाद लोग ओझा-गुणी के चक्कर में पड़कर समय गंवा देते हैं। इसके बजाय यदि वे समय पर अस्पताल आए तो मौत से बचाया जा सकता है। बरसात के मौसम में कोबरा, करैत व अन्य जहरीले सांप भी अपने ठिकाने बदलने के लिए भटकते हैं। ऐसे में कोई उसके राह में रूकावट बने तो उसकी खैर नहीं। सांप काटे तो सीधे मरीज को अस्पताल जाना चाहिए, तभी समुचित उपचार संभव हो सकता है। कोडरमा सदर अस्पताल में जहरीले सांपों की दवा भी उपलब्ध है। सिविल सर्जन पी मोहन का कहना है कि यदि हाथ अथवा पैर में सांप काटे तो तत्काल उस अंग को थोड़ी दूर पर धीरे से बांधना चाहिए, ताकि धीरे-धीरे खून का बहाव होता रहे। इसके बाद मरीज को तुरंत अस्पताल लाना चाहिए। सदर अस्पताल में सांप काटने का एंटी स्नेक सीरम दो तरह का उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि यदि सांप की पहचान हो जाए तो बेहतर है अन्यथा चिकित्सकों को काफी सावधानी पूर्वक मरीज में होने वाले लक्षण को भांप कर ही दवा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लक्षण पर गौर करके उपचार हो तो रोगी को आसानी से बचाया जा सकता है। इसमें थोड़ा समय जरूर लगता है। उन्होंने कहा कि सांप का इंजेक्शन भी जहरीला ही होता है, ऐसे में जांच कर ही दवा देना चाहिए। प्राइवेट क्लिनिकों में भी इसका इलाज हो सकता है। जहरीला सांप काटने के बाद रोगी के आंख की पपनी, धड़कन, शरीर का तापमान आदि पर गौर करना महत्वपूर्ण होता है। जिसके आधार पर इलाज संभव हो पाता है।

शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

पानी बना रहा बच्चों को विकलांग


कोडरमा के कई गांवों में दर्जनों लोग हुए विकलांग
झारखंड बिहार की सीमा पर बसे कोडरमा जिले के कुछ गांव ऐसे हैं जहां पानी के इस्तेमाल से बच्चे और बडे विकलांग हो रहे हैं। ये बदनसीब ऐसे कि पानी का घूंट लेते वक्त उनके हाथ-पैर कांपते हैं। इन गांवों में बडे भी खुद कब की लाठी थामे हैं, अब बच्चों को बैसाखियों के सहारे जिंदगी ढोते देख रहे हैं। कोडरमा घाटी में बसे गाव मेघातरी, उससे सटे विष्नीटिकर और करहरिया को विकास का मुखौटा तो मिल गया, हाल ही में बिजली भी पहुंची लेकिन सालों पुराने फ्लोराइड की अधिकता का अभिशाप आज यहां जनजीवन पर कुंडली मारे बैठा है। आलम यह है कि गाव के दर्जनों बच्चे और बुजुर्ग विकलाग हो चुके हैं। कुछ पढ़े-लिखे ग्रामीणों ने यह दर्द प्रशासन तक पहुंचाया पर कोई परिणाम नहीं निकला। बैसाखी पर लटके युवाओं और बच्चों को देखकर इनका दिल रोता है। गाव छोड़कर शहर में बसना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक मजबूरियों की बेड़िया कहीं ज्यादा मजबूत हैं। जिला मुख्यालय कोडरमा से सिर्फ 18 किलोमीटर दूर मेघातरी पंचायत की आबादी करीब ढाई हजार है। पहले जब यहां काफा मात्रा में माइका निकलता था तब क्षयरोग से युवावस्था में ही लोगों की मौत हो जाने से बडी संख्या में महिलाओं के विधवा हो गयी थीं और इसे विधवाओं की बस्ती कहा जाने लगा। अब यहां जल में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के कारण एक के बाद एक ग्रामीण विकलाग होते जा रहे हैं और तीन साल के बच्चों तक के शरीर विकृत हो चुके हैं। पानी की सुविधा के लिए गाव में कई चापानल भी लगाये गये पर स्थिति नहीं सुधरी और नये नये मामले सामने आते रहे हैं। गाव में रहने वाले 28 साल के कुन्दन कहते हैं दो साल पहले अचानक स्थिति बिगडी जिसके बाद कई जगहों पर इलाज करवाया पर ठीक नहीं हो सका। मेघातरी में सत्येन्द्र सागर सिंह का 11 वर्षीय पुत्र रीतिक, जगदीष प्रसाद का 4 वर्षीय पुत्र राजू, सरयू साव का 6 वर्षीय पुत्र दिवाकर पैरों से विकलांग हो चुके हैं। इसी प्रकार करहरिया में जितेन्द्र (13 वर्ष, पिता लक्ष्मण सिंह), संगीता कुमारी (6 वर्ष, पिता विजय सिंह), झलवा (13 वर्ष, पिता स्व. सरयू सिंह), बसंती (12 वर्ष, पिता जेठू सिंह), बिरेन्द्र सिंह (13 वर्ष, पिता कैलू सिंह) भी विकलांगता के अभिषाप से ग्रस्त हैं। बिरेन्द्र की पत्नी सूनीता और लक्ष्मण सिंह की पत्नी लीलवा देवी भी विकलांग हो चुकी है। 13 साल के जितेन्द्र का पैर भी मुड़ चुका है और आज वह लाठी के सहारे चलता है। सामाजिक कार्यकर्ता और मेघातरी निवासी सत्येन्द्र सिंह सागर ने पानी के कारण बच्चों के विकलांग होने की जानकारी सरकारी स्तर पर विभाग को और उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी पर अब तक कोई कार्यवाई नहीं हुई। ऐसे में यहां के बच्चे पानी के कारण विकलांग होने और लाठी का सहारा लेने को अभिषप्त हैं। इस बीमारी के संबंध में कोडरमा के एसीएमओ डा. एमए अषरफी से बात करने पर उन्होंने कहा कि यह विटामिन डी या हार्मोन की कमी के कारण भी हो सकता है। पानी में फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा भी कारण हो सकता है। उन्होंने बताया कि इसकी जांच के लिये एक टीम गठित की जायेगी जो जल्द ही जांच कर रिपोर्ट देगी और तब इनका इलाज करवाया जा सकेगा।

बुधवार, 23 दिसंबर 2009

राजद ने झाविमो को मात दी


कोडरमा विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एक बार फिर विजयी रहा है। राजद प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी ने झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के रमेश सिंह को 17 हजार से भी अधिक मतों से पराजित कर दिया। कोडरमा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी विजय कुमार साव तीसरे नम्बर पर रहे और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महेश राय चौथे तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रत्याशी साजिद हुसैन पांचवें स्थान पर रहे। कोडरमा में कुल 16 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे और यहां कुल 1,47,339 मत पड़े थे। इसमें राजद को 46,922, झाविमो को 29,639 और भाजपा को 27,654 मत मिले। वहीं झामुमो को 14,393 और बसपा को 13,377 मत मिले।
यहां मतगणना की शुरुआत सुबह 8 बजे हुई और पहले दो चक्र में राजद की अन्नपूर्णा देवी झाविमो के रमेश सिंह से आगे थीं। तीसरे चक्र में श्री सिंह ने बढ़त बना ली, पर उसके बाद पांचवें चक्र से अन्नपूर्णा देवी ने लगातार बढ़त बनाये रखी। दिन के लगभग दो बजे मतगणना समाप्ति के बाद निर्वाची पदाधिकारी शिशिर कुमार सिन्हा ने राजद की अन्नपूर्णा देवी के निर्वाचित होने की घोषणा की। उस समय वहां चुनाव प्रेक्षक जयराज कुमार, जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त डा. राजीव अरुण एक्का के अलावा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
विभिन्न प्रत्याशियों को मिले मत : अन्नपूर्णा देवी (राजद)- 46922, रमेश सिंह (झाविमो)- 29639, विजयकुमार साव (भाजपा)- 27654, महेश राय (झामुमो)- 14393, साजिद हुसैन (बसपा)- 13377, सिकंदर धोबी (निर्दलीय)- 3673, शिवनन्दन कुमार शर्मा (निर्दलीय)- 2062, परमेश्वर महतो (भाकपा माले)- 1588, बीरेन्द्र यादव (निर्दलीय)- 1444, राजकिशोर प्र. मोदी (निर्दलीय)- 1346, कृष्णा सिंह (निर्दलीय)- 1268, महादेव साव (निर्दलीय)- 1116, भिखदेव राम (निर्दलीय)- 777, अंजनी कुमार सिंह (निर्दलीय)- 768, श्यामदेव यादव (सपा)- 760, शोभा कुमारी (झापा)- 551.