मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

कोडरमा संसदीय क्षेत्र में होगी राजनीतिक उथल-पुथल

विधानसभा चुनाव के पूर्व कोडरमा संसदीय क्षेत्र की राजनीति में उलटफेर की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है। अक्तूबर महीने में ही कई प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता इधर उधर होंगे और इससे राजनीति का नया समीकरण भी तैयार होगा। यहां के पूर्व सांसद स्व. रीतलाल प्रसाद वर्मा के पुत्र प्रणव वर्मा अपने समर्थकों के साथ राजद छोड़कर कोडरमा सांसद बाबूलाल मरांडी की पार्टी में शामिल होंगे। इसके लिये 13 अक्तूबर की तिथि भी निर्धारित की गयी है और कार्यक्रम भी श्री वर्मा के पैतृक गांव भंडारो में होना तय हुआ है। ज्ञात हो कि प्रणव वर्मा गत दो लोकसभा चुनाव बाबूलाल मरांडी के खिलाफ लड़े थे, वहीं 2004 में उनकी मां श्रीमती चम्पा वर्मा ने भी बाबूलाल मरांडी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। वर्ष 2006 के उप चुनाव में प्रणव वर्मा भाजपा के टिकट पर और 2009 में राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में थे, दोनों ही चुनावों में प्रणव वर्मा को अच्छे वोट हासिल हुए थे। माना जा रहा है कि प्रणव वर्मा और उनके समर्थकों के झाविमो में शामिल होने से पार्टी की स्थिति मजबूत होगी। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि आगामी विधानसभा चुनाव बाबूलाल मरांडी अपने गृह क्षेत्र राजधनवार या फिर कोडरमा से लड़ेंगे। इस चुनाव में वह जीते तो लोकसभा से इस्तीफा देकर प्रणव वर्मा को कोडरमा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ायेंगे। इस तरह प्रणव वर्मा बाबूलाल के सहारे लोकसभा का सफर तय करने का प्रयास करेंगे, जबकि प्रणव वर्मा के सहयोग से बाबूलाल कोडरमा संसदीय क्षेत्र के सभी छह विधानसभा क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करेंगे। यह भी उल्लेखनीय हो कि कोडरमा संसदीय क्षेत्र में प्रणव वर्मा के स्वजातीय लोगों की खासी आबादी है, जिसपर वर्मा परिवार का प्रभाव भी अच्छा है। इसी समीकरण के आधार पर दोनों पक्षों में सहमति हुई है। जिसे 13 अक्तूबर को अमली जामा पहनाया जायेगा। इधर कोडरमा विधानसभा क्षेत्र में भी राजनीतिक खींचतान जारी है और इसी महीने कुछ नया गुल खिलने की पूरी संभावना है। झारखंड विकास युवा मोर्चा के केन्द्रीय महामंत्री खालिद खलील बरकट्ठा से चुनाव लड़ने के मूड में हैं और जैसी कि संभावना है झाविमो में टिकट नहीं मिलने की स्थिति में वह कांग्रेस या राजद का दामन थाम सकते हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो कोडरमा की राजद विधायक अन्नपूर्णा देवी के साथ इस संबंध में उनकी और झाविमो नेता सह सांसद प्रतिनिधि अनवारूल हक की बातचीत भी हो चुकी है। इसी प्रकार पिछले चुनाव में निर्दलीय लड़कर दूसरे स्थान पर रहे साजिद हुसैन लल्लू के भाजपा में जाने की कई महीनों से चर्चा है, पर इसपर अभी तक जिला संगठन का विरोध कायम है। ऐसे में वह भी कुछ नया निर्णय ले सकते है,ं हांलाकि भाजपा में उनका जाना तय बताया जाता है। कांग्रेस पार्टी को भी टिकट के सवाल पर झटका मिल सकता है तो वहीं दूसरी पार्टी से कुछ और लोगों के भाजपा, कांग्रेस या राजद में जाने की चर्चा है।