शुक्रवार, 21 नवंबर 2008

सैनिक स्कूल तिलैया को बधाई!


सैनिक स्कूल तिलैया के विद्यार्थियों ने इस बार भी संघ लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विद्यालय का नाम रौशन किया है. इस बार विद्यालय से कुल 90 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे जिसमें 54 लिखित परीक्षा में सफल हुए. देश की रक्षा हेतु इस स्कूल ने आज तक लगभग 1200 छात्रों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में भेज चुका है. इस वर्ष उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण सैनिक स्कूल तिलैया को राष्ट्रीय रक्षा मंत्री पुरस्कार मिल चुका है.

चुएं का पानी उपयोग करना पसंद करते है खेशमी के ग्रामीण

कोडरमा जिले के मरकच्चो स्थित देवीपुर के ग्रामीण आज भी खेशमी नदी पर निर्भर है. नदी से ही बालू हटाकर यानी चुआं बनाकर पीने के लिए पानी निकालते है. इसी से खाना बनाते है और नहाने-धोने का काम भी नदी के पानी से ही करते है. ऐसी बात नहीं कि गांव में कुआं या चापानल नहीं है, बावजूद अधिकतर परिवार चुआं बनाकर बालू के अंदर से पानी निकालते हैं और उसे उपयोग में लाते हैं. इसे सोच का अंतर कहे या आदत, लेकिन है पूरी तरह हकीकत. गांव के बूढ़े-बुजुर्ग बताते है कि नदी का पानी काफी मीठा और निर्मल है. इसीलिए नदी के पानी का उपयोग लोग अपने दैनिक जीवन में करते है. जबकि कुआं और चापानल का पानी खारा है. दाल नहीं गलता है और धोने-नहाने के क्रम में साबुन से झाग भी नहीं निकलता है. दूसरी ओर नदी का पानी भी संक्रमित है, लेकिन ग्रामीण इससे इत्तेफाक नहीं रखते. वे नदी के पानी का हर तरह से इस्तेमाल करते है, जानवर धोते है तो उसी पानी क उपयोग पीने मे भी करते है.

वादों से तंग लोगों ने खुद बना ली सड़क

झारखंड के कोडरमा जिले के सिमेरकुंडी गांव के लोगों ने गांव से शहर तक सड़क बनवाने के नेताओं द्वारा किए गए खोखले वादों से तंग आकर खुद ही आठ किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली. घने जंगलों में बसे सिमेरकुंडी गांव में सड़क न होने के चलते शहर जाने और दूर से पानी लाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. गांव की वन विकास समिति के प्रमुख रमेश मुर्मू ने बताया, 'नेताओं ने बड़े-बड़े वादे किए लेकिन वे अधूरे रह गए, इसके बाद हमने पिछले साल सितंबर में खुद ही सड़क बनाने का फैसला कर डाला. 'सड़क निर्माण के बाद जिला वन अधिकारी से गांव वालों को आथिर्क प्रोत्साहन और मदद मिली जिसके चलते आज इस गांव की आथिर्क तस्वीर बदल चुकी है. वन अधिकारी केके त्रिपाठी ने बताया, 'ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत गांव वालों ने पानी की समस्या हल करने के लिए एक कुआं भी खोदा है. इसके अलावा, गांव में जंगलों की रक्षा के लिए एक चेतना समिति और खाद्यान्न भंडार की भी स्थापना की गई है. ग्रामीणों को संकर बीजों से भी परिचित कराया गया है जिससे वे सब्जियों के उत्पादन को बढ़ा सकें.कोडरमा से 28 किमी दूर सिमरकुंडी की यह दास्तान कईयो के लिये सबक है तो नेताऒ के लिये आईना भी.

फिर से विवाद में फंसे गुरुजी

झारखंड के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन अब एक बार फिर से नए विवाद में पड़ गए हैं। उनके एक प्रमुख आलोचक ने कहा है कि मुख्यमंत्री के संबंध प्रदेश में एक गैरकानूनी चरमपंथी गुट के सुप्रीमो से है तथा मामले की जांच कराने की मांग की है। झारखड लिबरेशन टाइगर्स [जेएलटी] के प्रमुख के साथ मुख्यमंत्री सोरेन के संबंध के मामले की पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने इस मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराने की मांग की है। चरमपंथी गुट के एक सदस्य को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। लारेंस मुंडारी उर्फ कार्लोस नामक इस सदस्य ने मीडिया के समक्ष स्वीकार किया था कि उसके गुट के प्रमुख दिनेश गोप के साथ मुख्यमंत्री शिबू सोरेन लगातार संपर्क में हैं। प्रदेश में भाकपा-माओवादी से टूट कर जेएलटी का गठन हुआ है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने हालांकि इन आरोपों को खारिज कर दिया है। सोरेन के प्रेस सलाहकार शफीक अंसारी ने कहा कि यह गुरुजी की छवि को धूमिल करने का एक प्रयास मात्र है। मुख्यमंत्री गुरुजी के नाम से मशहूर हैं। इस मामले को सोरेन के आलोचकों ने लोकसभा चुनाव से पहले उठाया है। इनमें मरांडी भी शामिल हैं जो प्रदेश के कोडरमा से सांसद हैं। मरांडी ने बताया कि वह प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री को पत्र लिख कर इस गंभीर मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराए जाने की मांग करेंगे। झारखंड विकास मोर्चा-पी का नेतृत्व कर रहे मरांडी ने कहा कि चरमपंथी के पकड़े जाने के बाद उसने जो खुलासा किया है इससे इस बात के पुख्ता साक्ष्य मौजूद हैं कि प्रदेश के कई राजनीतिक नेताओं के संबंध इस गुट से है लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। सोरेन विवादों से जुड़े रहे हैं। यह उनके लिए नया नहीं है। वह सांसद रिश्वतकांड मामले में आरोपी हैं। शशिनाथ झा हत्याकांड में उन्हें कुछ समय के लिए जेल की भी हवा खानी पड़ी थी। बाद में हालांकि उन्हें हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। मरांडी ने जोर देकर कहा कि केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार को इस मामले को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह मुद्दा बहुत गंभीर है। इस मामले में मुख्यमंत्री पर चरमपंथियों के साथ मिले होने का आरोप लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री मरांडी ने कहा कि नक्सलवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।