शुक्रवार, 21 नवंबर 2008

फिर से विवाद में फंसे गुरुजी

झारखंड के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन अब एक बार फिर से नए विवाद में पड़ गए हैं। उनके एक प्रमुख आलोचक ने कहा है कि मुख्यमंत्री के संबंध प्रदेश में एक गैरकानूनी चरमपंथी गुट के सुप्रीमो से है तथा मामले की जांच कराने की मांग की है। झारखड लिबरेशन टाइगर्स [जेएलटी] के प्रमुख के साथ मुख्यमंत्री सोरेन के संबंध के मामले की पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने इस मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराने की मांग की है। चरमपंथी गुट के एक सदस्य को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। लारेंस मुंडारी उर्फ कार्लोस नामक इस सदस्य ने मीडिया के समक्ष स्वीकार किया था कि उसके गुट के प्रमुख दिनेश गोप के साथ मुख्यमंत्री शिबू सोरेन लगातार संपर्क में हैं। प्रदेश में भाकपा-माओवादी से टूट कर जेएलटी का गठन हुआ है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने हालांकि इन आरोपों को खारिज कर दिया है। सोरेन के प्रेस सलाहकार शफीक अंसारी ने कहा कि यह गुरुजी की छवि को धूमिल करने का एक प्रयास मात्र है। मुख्यमंत्री गुरुजी के नाम से मशहूर हैं। इस मामले को सोरेन के आलोचकों ने लोकसभा चुनाव से पहले उठाया है। इनमें मरांडी भी शामिल हैं जो प्रदेश के कोडरमा से सांसद हैं। मरांडी ने बताया कि वह प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री को पत्र लिख कर इस गंभीर मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराए जाने की मांग करेंगे। झारखंड विकास मोर्चा-पी का नेतृत्व कर रहे मरांडी ने कहा कि चरमपंथी के पकड़े जाने के बाद उसने जो खुलासा किया है इससे इस बात के पुख्ता साक्ष्य मौजूद हैं कि प्रदेश के कई राजनीतिक नेताओं के संबंध इस गुट से है लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। सोरेन विवादों से जुड़े रहे हैं। यह उनके लिए नया नहीं है। वह सांसद रिश्वतकांड मामले में आरोपी हैं। शशिनाथ झा हत्याकांड में उन्हें कुछ समय के लिए जेल की भी हवा खानी पड़ी थी। बाद में हालांकि उन्हें हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। मरांडी ने जोर देकर कहा कि केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार को इस मामले को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह मुद्दा बहुत गंभीर है। इस मामले में मुख्यमंत्री पर चरमपंथियों के साथ मिले होने का आरोप लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री मरांडी ने कहा कि नक्सलवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।

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