मंगलवार, 7 जुलाई 2009

रोमांचित कर देनेवाली शक्तिपीठ माता चंचला देवी


कोडरमा जिला मुख्यालय से तकरीबन 33 कि0मी0 दूर रोमांचित और विस्मित कर देनेवाली शक्तिपीठ माता चंचला देवी की पहाड़ी है, जो श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों दोनों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई हैं। मां चंचला देवी दुर्गा की एक रूप मानी जाती है। कोडरमा गिरिडीह मुख्य मार्ग पर स्थित कानींकेन्द मोड़ से 8 कि0मी0 कच्ची सड़क के चहुओर बीहड़ जंगलों से गुजरते हुए मां चंचला देवी की पहाडी तक पूजा अर्चना के लिए जाया जाता है। लगभग 400 फीट की उंचाई वाले पहाड़ी के मध्य मां चंचला देवी का स्थान है। यहां से थोड़ी दूर एक बड़ी गुफा है। गुफा के अंदर प्रस्तरों पर उत्कीर्ण भित्ती चित्रा में मां दुर्ग के सात अलग-अलग रूपों का दर्शन होता है। यहां पर भक्तगण घी के दीपक जलाते हैं। हांलाकि गुफा में प्रवेश का रास्ता अति संकीर्ण है फिर भी घुटनों के बल रेंगकर श्रद्धालुगण दीपक जलाने के लिए अंदर जाते हैं। घने जंगलों से सुसज्जित इस काली पहाड़ी के शिखर पर एक अन्य लंबी कंदरा है जहां देवाधि देव महादेव का शिवलिंग विराजमान है। पूजा-अर्चना करना यहां पर एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। बावजूद प्रतिवर्ष 20 से 25 हजार की संख्या में श्रद्धालु एवं पर्यटक यहां पहुंचते हैं। इस धार्मिक स्थली के प्रति श्रद्धालुओं में अटूट विश्वास कायम है कि यह शक्तिपीठ फलदायिनी है। मन्नतें मांगने पर इच्छित मुरादें पूर्ण होती हैं। सैकड़ों वर्ष पूर्व से यहां पूजा अर्चना की परिपाटी चली आ रही है। 1956-57 में खेशमी राजवंश ने यहंा लोहे की दो सीढ़ियां बनवायी। यहां पशुबलि प्रथा प्रचलित है और पूजा-अर्चना में सिन्दूर का प्रयोग पूर्णतः वर्जित है। प्रसाद में अरवा चावल एवं मिश्री चढाया जाता है। खासकर शनिवार एवं मंगलवार को यहां विशेष भीड़ लगती है। स्नानादि से निवृत होकर बिना अन्न-जल ग्रहण किए ही पूजा में शामिल हुआ जा सकता है। अन्यथा यहां पर विराजमान मौन भैारे लहुलुहान करने से नहीं चुकते। पूजा-अर्चना के अतिरिक्त सैकडों की संख्या में शादी-विवाह, मुण्डन संस्कार एवं अन्य मांगलिक कार्य भी यहां संपन्न होते हैं। पर्यटन विकास की असीम संभावनायें यहां विद्यमान हैं। अन्य धार्मिक स्थलों के बनिस्पत यहां की नैसर्गिक सुषमायें काफी खूबसूरत एवं मंत्रमुग्ध कर देने वाली हैं। लेकिन पर्यटकों की सुविधा के लिए आवश्यक व्यवस्थायें उपलब्ध नहीं हैं। वेद-पुराण से संबंधित धार्मिक महत्ववाले इस स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने से सरकार को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति हो सकती है।

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