मंगलवार, 7 जुलाई 2009

कोडरमा में दो दशक से जारी है पत्थरों की लूट

कोडरमा जिले के सदर थाना क्षेत्र के अंतर्गत इंदरवा-लोकाई स्थित वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र में चमकीले कीमती पत्थरों की अवैध खुदाई करीब दो दशक से जारी है। यहां 25 एकड़ से ज्यादा भूभाग में प्रतिदिन हजारों की संख्या में स्थानीय लोग खुदाई का कार्य करते है, जिससे खदान काफी गहरी हो चुकी है। प्रतिदिन लाखों रुपये के कीमती पत्थर जयपुर की मंडियों में भेजकर औने-पौने मूल्य में बेच दिया जाता है। इन्हीं पत्थरों को तराश कर वहां के व्यापारी भारी कीमत वसूलते हैं। इस अवैध खुदाई की ओर सरकार एवं जिला प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। वन विभाग कार्रवाई करने में खुद को असमर्थ बताता है। यहां मुख्यत: मून स्टोन, ब्लू स्टोन, गारनेट, दोरगनिक बेरिल, रक्तमणि जैसे चमकीले और बहुमूल्य पत्थर काफी मात्रा में पाए जाते है, जिनकी जयपुर की मंडियों में शुरुआती दौर में काफी मांग थी। इधर, स्थानीय लोग उन कीमती पत्थरों को झोला, बैग एवं ब्रीफकेस में भरकर अवैध तरीके से वहां तक पहुंचाने जाते है। जब यहां उत्खनन बड़े पैमाने पर होने लगा तो मांग घट गई। वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन के संबंध में बात करने पर संबंधित वन प्रमंडल पदाधिकारी एके मिश्रा ने अवैध उत्खनन पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस संबंध में कई बार कोडरमा जिला प्रशासन और वहां के खनन पदाधिकारी को पत्राचार कर चुके है, क्योंकि कार्रवाई संयुक्त प्रयास से ही संभव है। पूर्व में एक-दो बार कोडरमा जिला प्रशासन और पुलिस के साथ डीएफओ और वन संरक्षक स्वयं वहां कार्रवाई के लिए गए थे, लेकिन स्थानीय लोगों के तीव्र विरोध और पत्थरबाजी के कारण प्रशासन को पीछे हटना पड़ा था। पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने उक्त क्षेत्र को अधिसूचित वन क्षेत्र से बाहर लाकर स्थानीय लोगों को खनन पट्टा देने की बात कही थी, लेकिन जेएसएमडीसी की ओर से इस तरह की कोई पहल नहीं की गई। वैसे वन क्षेत्र के डिनोटिफिकेशन की प्रक्रिया भारत सरकार के स्तर पर होती है, जो काफी जटिल है। इससे भी स्थानीय ग्रामीण निश्चिंत होकर माइनिंग कर रहे है। डीएफओ श्री मिश्र ने स्वीकार किया कि कोडरमा आश्रयणी क्षेत्र में 15-20 स्थानों पर अवैध माइनिंग हो रही है, लेकिन उनके विभाग में कर्मचारियों की कमी के कारण वे अकेले कुछ कदम नहीं उठा पा रहे। इस कारण उग्र स्थानीय लोगों से निपटना संभव नहीं है।

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